अमृता शेरगिल के उनके जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में

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▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬अमृता शेरगिल के उनके जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में

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अमृता शेरगिल के उनके जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में



पूरा नाम --- अमृता शेरगिल


जन्म ----30 जनवरी, 1913


जन्मस्थान ---बुडापेस्ट, हंगरी


मृत्यु ----5 दिसम्बर, 1941 (उम्र- 28)


मृत्यु स्थान ----- लाहौर, पाकिस्तान


माता पिता ----उमराव सिंह शेरगिल और मेरी एंटोनी गोट्समन


पति---- डॉ. विक्टर इगान


कर्म भूमि ----भारत


प्रसिद्ध----- चित्रकारी


नागरिकता -----भारतीय



अमृता शेरगिल के उनके जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में




 इनकी चित्रकारी को धरोहर मानकर दिल्ली की 'नेशनल गैलेरी' में सहेजा गया है।



उनके पिता उमराव सिंह शेरगिल मजीठिया संस्कृत और पारसी के विद्वान व्यक्ति थे।

 उनकी माँ मेरी अन्तोनेट्टे गोट्समान हंगरी की एक यहूदी ओपेरा गायिका थीं। 

उनकी एक छोटी बहन भी थी जिसका नाम इंद्रा सुंदरम था।

अपनी बहन इंद्रा के साथ अमृता

उनका बचपन बुडापेस्ट में ही बीता।


✍️ साल 1921 में उनका परिवार शिमला के पास समरहिल में रहने आ गया। यहां उन्होंने पियानो और वायलिन सीखना शुरू किया।


✍️चित्रकारी के साथ अमृता का रिश्ता पांच साल की कच्ची उम्र में ही बंध गया था। 

✍️आठ साल की उम्र से वे चित्रकारी का प्रशिक्षण लेने लगी थीं। 

✍️साल 1923 में अमृता इटली के एक मूर्तिकार के संपर्क में आर्इं, जो उस समय शिमला में ही थे और 1924 में वे उनके साथ इटली चली गई

 ✍️साल 1930 में ‘नेशनल स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स इन पेरिस’ से उनको ‘पोट्रेट ऑफ अ यंग मैन’ के लिए एकोल अवॉर्ड मिला। 

✍️साल 1933 में उनको ‘एसोसिएट ऑफ ग्रैंड सैलून’ चुना गया।

✍️ इतनी कम उम्र में ये जगह पाने वाली पहली एशियाई और भारतीय थीं अमृता शेरगिल

✍️‘ग्रुप ऑफ़ थ्री गर्ल्स’ 1935 में बनाई

✍️उन्होंने अजंता की गुफाएं, दक्षिण भारत की संस्कृति, बनारस आदि को कैनवास पर उतारते-उतारते अनजाने में ही एक नए युग की शुरुआत कर दी थी। 

✍️क्लासिकल इंडियन आर्ट को मॉर्डन इंडियन आर्ट की दिशा देने का श्रेय अमृता शेरगिल को ही जाता है।


✍️साल 1937 में लाहौर में एक कला प्रदर्शनी आयोजित हुई थी। यहाँ अमृता शेरगिल की 33 कलाकृतियाँ सम्मिलित हुईं 

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🌷अमृता शेरगिल की कुछ कलाकृतियाँ🌷

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✍️‘द ब्राईड्स टॉयलट (दुल्हन का श्रृंगार कक्ष),’ ✍️‘ब्रह्मचारी’, ‘विलेजर्स इन विंटर (जाड़ों में गांववाले),’ ‘

✍️मदर इंडिया (भारत माता)’ सरीखी पेंटिंग इस प्रदर्शनी में शामिल थीं।

✍️साल 1941 में अमृता गंभीर रूप से बीमार पड़ गयी।  और 28 साल की उम्र में 5 दिसंबर 1941 को उन्होंने इस दुनिया से विदा ली।


✍️अमृता की एक पेंटिंग ‘विलेज सीन’ साल 2006 में नीलाम हुई। इसकी कीमत पूरे 6.9 करोड़ रुपए थी। ये किसी भी पेंटिंग के लिए भारत में अदा की गई सबसे ज़्यादा रकम थी।


✍️अमृता शेरगिल की एक पेंटिंग द लिटिल गर्ल इन ब्लू पेंटिंग 2008 में करीब 18.7 करोड़ में बिकी(यह पेंटिंग 1934 में तैयार की)


✍️इनकी एक पेंटिंग इन द लेडीस एनक्लोजर भारत की दूसरी सबसे महंगी पेंटिंग बनी जो 2021 में सेटेलाइट की नीलामी में 37.8 करोड़ में बिकी(इन्होंने यह पेंटिंग 1938 में बनाई थी)

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अमृता शेरगिल के उनके जीवन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में



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